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राठौर

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राठौर
जोधपुर को झण्डा
राव मालदेव राठौर, राठौर वंशको नायक

राठौर नेपाल, भारत तथा पाकिस्तानमा बसोवास गर्ने विभिन्न जातिहरूको थर हो । उत्तर भारत र पाकिस्तानमा, राठौरहरू राजपुत,[] मराठा,[]कोली जातिमा पाइन्छ ।[]

नेपालमा कश्यप गोत्रका राठौर छन् भने भारतमा शाण्डिल्य गोत्रका राठौर राजपुत भेटिन्छन । नेपालका राठौर गुल्मीको इस्मा हुँदै सल्यानका राजाको राज्यमा आएर सल्यानबाट फैलिएको मान्यता छ । नेपाली राठौरहरूको कुलदेवता मष्ट /मष्टो हुन् । नेपालमा राठौरहरू दांग, बाँके, बर्दियाकैलाली क्षेत्रमा भेटिन्छन ।

भारतमा राठौर वंश

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जोधा, वधेल, जैतावत, कुंपावत, चंपावत, मेड़तिया, बिकावत, उदावत, करमसोत आदि राठौड़ राजपूतों शाखा वा उपकुल हुन्।।[]

प्रतीक चिन्ह, जोधपुरको राठौर वंश द्वारा प्रयोग गरिएको

राठौर वंशका विभिन्न शाखाहरू क्रमशः मारवाडभर फैलिए र पछि मध्य भारत र गुजरातमा राज्य स्थापना गरे। मारवाड शाही परिवारलाई राठौरहरूको प्रधान घर मानिन्छ। सन् १९४७ मा भारतको स्वतन्त्रताको समयमा, राठौर वंशका विभिन्न शाखाहरूद्वारा शासित रियासतहरू समावेश थिए:[][]

  • जोधपुर (मारवाड), वर्तमान राजस्थान मा, राव सिहा द्वारा १२२६ मा स्थापित।
  • हालको राजस्थानको बिकानेर, राव बिकाजी (राव जोधाका छोरा) द्वारा १४६५ मा स्थापित।
  • वर्तमान राजस्थानको किशनगढ, महाराजा किशन सिंह द्वारा १६११ मा स्थापित।
  • वर्तमान गुजरातको इडर, १२५७ मा राव सोनग द्वारा स्थापित, राव आनन्द सिंह द्वारा १७२९ मा पुन: कब्जा।
  • वर्तमान मध्य प्रदेशको रतलाम, महाराजा रतन सिंह द्वारा १६५१ मा स्थापित।
  • वर्तमान मध्य प्रदेशको झाबुआ, राजा केशव दास द्वारा १५८४ मा स्थापित।
  • वर्तमान मध्य प्रदेशको सीतामाउ, राजा केशो दास द्वारा १७०१ को स्थापना।
  • वर्तमान मध्य प्रदेशको सैलाना, राजा जय सिंह द्वारा १७३० मा स्थापित।
  • हालको मध्य प्रदेशको अलीराजपुर, राजा आनन्द देव द्वारा १४३७ मा स्थापित।

जोधपुरको राठौर वंश

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वर्ष 1459 देखि 1947 सम्मका शासक

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नाम राज्य आरम्भ समाप्त
1 राव जोधा - जोधपुरको संस्थापक र राठौर वंशको १५औं मुखिया। 12 मई 1459 6 अप्रैल 1489
2 राव सातल - अफ़्ग़ान हमलावरबाठ १४० महिलालाई बचाउदा घाउबाट मृत। 6 अप्रैल 1489 मार्च 1492
3 राव सुजा मार्च 1492 2 अक्टूबर 1515
4 राव बिरम सिंह – बघाको पुत्र 2 अक्टूबर 1515 8 नवम्बर 1515
5 राव गंगा - राणा सांगा के भारत के सुल्तान में सहयोग। 8 नवम्बर 1515 9 मई 1532
6 राव मालदेवशेरशाह सूरी के आक्रमण को सफलतापूर्वक पीछे धकेला। फेरिश्ता ने हिन्दुस्तान का सबसे प्रभावशाली शासक कहा है। 9 मई 1532 7 नवम्बर 1562
7 राव चन्द्र सेन – मुग़लों के साथ युद्ध में अपना अधिकतर क्षेत्र खो दिया। 7 नवमर 1562 1565
8 राजा उदय सिंह मोटा राजाएक जागीरदार के रूप में मुग़लों ने 'राजा' पुनः स्थापित किया। 4 अगस्त 1583 11 जुलाई 1595
9 सवाई राजा सुरजमल 11 जुलाई 1595 7 सितम्बर 1619
10 महाराजा गज सिंह प्रथम – अपने आप से 'महाराजा' उपनाम लेने वाले प्रथम 7 सितम्बर 1619 6 मई 1638
11 महाराजा जसवंत सिंह - धर्मातपुर के युद्ध में औरंगजेब से लड़े। 6 मई 1638 28 नवम्बर 1678?
12 राजा राय सिंह – राजा अमर सिंह के पुत्र। 1659 1659
13 महाराजा अजीत सिंह - औरंगजेब के साथ २५ वर्षों के युद्ध के बाद मारवाड़ के महाराजा बने। दुर्गादास राठौड़ ने इस युद्ध में मुख्य भूमिका निभाई। 19 फ़रवरी 1679 24 जून 1724
14 राजा इन्द्र सिंह – औरंगजेब द्वारा महाराजा अजीत सिंह के विरुद्ध घोषित किया गया लेकिन मारवाड़ में लोकप्रिय नहीं हुआ। 9 जून 1679 4 अगस्त 1679
15 महाराजा अभय सिंह- सरबुलंद खान को हराकर छोटे समय के लिए पूरे गुजरात पर कब्जा किया। 24 जून 1724 18 जून 1749
16 महाराज राम सिंह – प्रथम राज्यकाल 18 जून 1749 जुलाई 1751
17 महाराजा बख्त सिंह- एक महान योद्धा और जनरल, उन्होंने सारबुलंद खान के सामने मारवाड़ी सेना का नेतृत्व किया और उसे हराया। गंगवाना के युद्ध में उन्होंने मुग़लों और कच्छवाहों की संयुक्त सेना को हराया। जुलाई 1751 21 सितम्बर 1752
18 महाराजा विजय सिंह – प्रथम राज्यकाल 21 सितम्बर 1752 31 जनवरी 1753
19 महाराजा राम सिंह – दूसरा राज्यकाल 31 जनवरी 1753 सितम्बर 1772
20 महाराजा विजय सिंह – दूसरा राज्यकाल - महादजी सिंधिया से हारकर अजमेर नगर और दुर्ग को अभ्यर्पण करने को मजबूर हुये। सितम्बर 1772 17 जुलाई 1793
21 महाराजा भीम सिंह 17 जुलाई 1793 19 अक्टूबर 1803
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महाराजा मान सिंह - ६ जनवरी १८१८ को ब्रिटेन के साथ संधि की। 19 अक्टूबर 1803 4 सितम्बर 1843
23 महाराजा सर तख्त सिंह – अहमदनगर के पूर्व शासक अजीत सिंह का वंशज। 4 सितम्बर 1843 13 फ़रवरी 1873
24 महाराजा सर जसवंत सिंह द्वितीय – भारत के सम्राट 13 फ़रवरी 1873 11 अक्टूबर 1895
25 महाराजा सर सरदार सिंह – ब्रितानी भारतीय सेना में कर्नल 11 अक्टूबर 1895 20 मार्च 1911
26 महाराजा सर सुमैर सिंह – ब्रितानी भारतीय सेना में कर्नल 20 मार्च 1911 3 अक्टूबर 1918
27 महाराजा सर उमैद सिंह – ब्रितानी भारतीय सेना में लेफ्टिनेन्ट-जनरल 3 अक्टूबर 1918 9 जून 1947
28 महाराजा हनवंत सिंह – मारवाड़ के शासक (जोधपुर) 9 जून 1947 15 अगस्त 1947
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सन्दर्भ सामग्रीहरू

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  1. A. M. Shah (1998). The Family in India: Critical Essays. Orient Blackswan. pp. 112–. ISBN 978-81-250-1306-8.
  2. उद्दरण त्रुटी: अवैध <ref>चिनो; ATCarter नामको सन्दर्भका लागि कुनै पाठ प्रदान गरिएको छैन
  3. Raymond Brady Williams; Yogi Trivedi (12 May 2016). Swaminarayan Hinduism: Tradition, Adaptation, and Identity. OUP India. p. 354. ISBN 978-0-19-908959-8.
  4. Kothiyal, Tanuja (2016). Nomadic Narratives: A History of Mobility and Identity in the Great Indian Desert. Cambridge University Press. p. 105. ISBN 978-1-10708-031-7.
  5. Indian Princely Medals: A Record of the Orders, Decorations, and Medals by Tony McClenaghan, pg 179
  6. Dhananajaya Singh (1994). The House of Marwar. Lotus Collection, Roli Books. p. 13. He was the head of the Rathore clan of Rajputs, a clan which besides Jodhpur had ruled over Bikaner, Kishengarh, Idar, Jhabhua, Sitamau, Sailana, Alirajpur and Ratlam, all States important enough to merit gun salutes in the British system of protocol. These nine Rathore States collectively brought to India territory not less than 60,000 square miles in area.