ढुस्को ढप
स्वरूप
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परिचय
[सम्पादन • स्रोत सम्पादन]ढुस्को एक किसमको खेल हो । यो खेल गौरा पर्वमी, जाँत मी बर्ती खेलिनछ । ढुस्को सुदूरपश्चिममी खेलिन्या खेल हो । दार्चुला जिल्ला लै, बैतडीमाई एको प्रचलन झिक्क छ । ऐल यो खेल हरौन्या आवस्थामी पुग्या छ । ढुस्को खेलमी निम्नानुशारका गितहरू गाइबर नाच्ने गरिन्छ । ढुस्को खेलमी गाउने गितलाई ढुस्को ढप भणिन्छ । हामरी भाषा माई ढुस्को खेलकि ढप:
- ओ मेरा बाबा जिया कथई ग्या
- हाई ओ मेरा बाबा जिया कथई ग्या
- तेरी जिया बाला हो पानी नवा गई
- पानी नवा हेरी हाल्या जिया नाई पाया
- ओ मेरा बाबा जिया कथई ग्या
- तेरी जिया बाला हो बनबेत गई
- हाई तेरी जिया बाला बनखेत गयी
- हाई बेत हेरी हाल्या जिया नाई पाया
- ओ मेरा बाबा जिया कथई ग्या
- हाई तेरी जिया बाला गोठपात गई
- गोठपात हेरिहाल्या जिया नाई पाया
- हाई तेरी जिया बाला हो घास पात गई
- हाई घासपात हेरिहाल्या जिया नाई पाया
- ओहो घूगूती घुर्यो न्याउली झुर्यो
- ओहो धूरईधूरई धूगूतीधुर्यो
- ओहो न्याहू न्याहू न्याउली झुर्यो
- कठई ओ मेरा बाबा जिया कथईग्या[१]
- दशरथबोलानलाग्या,हे, दशरथ ......... |
- दशरथ बाबाकिकुमायाभैछ,लेखिहाल्योसुदांर आँक, कठैलेखिहाल्योसुदांर आँक |
- रामलछिमन बनबासझान्ना, भरतसत्रुघनराज,कठैभरतसत्रुघनराज|
- रामलछिमन बनबासाग्यानु, सिता लागिपछेट,कठैसिता..... |
- सितारानीयैबसीराख, हमलै घर फिरीऔला, कठैहम लै.... |
- बनमैरहुलाबनफलखउला, तमरानीकिफलखाउली, कठैतम.....|
- जेखानु खान्ना रामलछिमन, त्यैफलहमसीता खाउलि, कठैत्यै.....|
- सातुसामलुझिकसमाउबउजु, परदेशहोइझाली भोक, गुसाईपरदेश....|
- लत्ताकपडाझिकसमाउबउजु, परदेशहोइझालीजाडी, गुसाईपरदेश......|
- दशरथबाबायै बसीरह्या,चौधबरष फिरीऔला, गुसाईचौध .....|
- कौसल्यामाईयै बसीरह्या, चौधबरष फिरीऔला, गुसाई चौध ....|
- भरतभउल्यायैबसीरहया, चौधबरष फिरीऔला, गुसाईचौध..... |
- रामलछिमनबनबासग्यानु, अयोध्यालागिपछेट, गुसाईअयोध्या....|
- अयोध्याकोट यैछाडबउजु, ले चलसीताकोसत्य, गुसाईलैचल....|
- साथ संगीनी यैछाडबउजु, ले चलसीताकोसत्य, गुसाईलैचल....|
* सासुससुरायैछाडबउजु, लेचलसीताकोसत्य, गुसाईलैचल....| * सृष्टि संसारयैछाड बउजु, ले चल सीताकोसत्य, गुसाईलैचल....|
सन्दर्भ
[सम्पादन • स्रोत सम्पादन]- ↑ बैदिक संस्कारका मांगलिक आभुषणहरु-माया भट्ट
भाईरका कडीहरु
[सम्पादन • स्रोत सम्पादन]यिनलाइ लै हेर
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